इस राह में कांटे भरे हैं,
जानता हूँ मैं ।
जानता हूँ मैं ।
एक आह में कितनी चुभन है,
जानता हूँ मै॥
निकला मैं नंगे पाँव ,
फिर भी प्यार के जूनून में।
छाले परे इस चाह में ,
यह जानता हूँ मैं॥
निकला मैं नंगे पाँव ,
फिर भी प्यार के जूनून में।
छाले परे इस चाह में ,
यह जानता हूँ मैं॥
किसी मनचले ने तोड़ा ,
मेरे गुलिस्तान का फूल ।
कांटे ही शेष रह गए हैं,
जानता हूँ मैं।
मेरे गुलिस्तान का फूल ।
कांटे ही शेष रह गए हैं,
जानता हूँ मैं।
हंस कर दिया मुझे
उसने एक हसीन धोखा।
वफ़ा ही बेवफा हुए हैं
जानता हूँ मैं।
उसने एक हसीन धोखा।
वफ़ा ही बेवफा हुए हैं
जानता हूँ मैं।
जिन्दा रहूँ तो कैसे
किसी की बेवफाई में।
मरना अब उनकी याद में है,
जानता हूँ मैं॥
किसी की बेवफाई में।
मरना अब उनकी याद में है,
जानता हूँ मैं॥
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