बागों में कलियाँ
किसी बेख्याली में
वो मुस्कराई होगी।
कोयल भी भूल गई
अपने गीत गाना
बातों-बातों में हौले से
वो खिलखिलाई होगी।
क्यों ठहर गया
वक्त का अचानक चलना?
अलसाई सी उसने
ली अंगड़ाई होगी.
भीनी सुगंध मौसम में
आई कहाँ से?
अपनी भींगी जुल्फें
उसने बिखराई होगी।
बदला-बदला सा है,
मेरे घर का हर पहलू,
आज भूले से शायद
वो इधर आई होगी.
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